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Jammu and Kashmir: “यह कांटों का ताज है”; उमर अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री बनने पर फारूक अब्दुल्ला ने क्यों कहा ऐसा?

Jammu and Kashmir की राजनीतिक धरातल पर एक नया अध्याय तब जुड़ गया जब नेशनल कांफ्रेंस के विधायक उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। यह जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पहला मौका है जब यहां कोई मुख्यमंत्री पद ग्रहण कर रहा है। लगभग दस वर्षों बाद हुए विधानसभा चुनावों में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने बहुमत हासिल किया। हालांकि, उमर अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उनके पिता और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने इसे ‘कांटों का ताज’ बताया। इस बयान ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया और यह सवाल उठने लगे कि फारूक अब्दुल्ला ने ऐसा क्यों कहा।

‘यह कांटों का ताज है’ – फारूक अब्दुल्ला

उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को जम्मू और कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह शपथ ग्रहण समारोह ऐतिहासिक था क्योंकि यह पहली बार था जब जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद कोई मुख्यमंत्री पद पर बैठा। लेकिन इस खुशी के पल में भी फारूक अब्दुल्ला ने अपने बेटे के लिए चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “यह कांटों का ताज है।” उन्होंने आगे कहा कि राज्य में चुनौतियों की कोई कमी नहीं है और उन्हें उम्मीद है कि यह सरकार वह सब करेगी जिसका वादा उसने अपने चुनावी घोषणापत्र में किया था।

Jammu and Kashmir: "यह कांटों का ताज है"; उमर अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री बनने पर फारूक अब्दुल्ला ने क्यों कहा ऐसा?

फारूक अब्दुल्ला का यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि मुख्यमंत्री की भूमिका में उमर अब्दुल्ला को कई कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों में शांति और स्थिरता लाना एक बड़ी चुनौती है, खासकर तब जब 2019 के बाद से राज्य में काफी उथल-पुथल मची हुई है। फारूक अब्दुल्ला ने अल्लाह से दुआ की कि उमर अब्दुल्ला इन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करें और राज्य की जनता की उम्मीदों को पूरा कर सकें।

चुनौतियों से भरा भविष्य

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उमर अब्दुल्ला का मुख्यमंत्री बनना सिर्फ एक राजनीतिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह एक बड़े संघर्ष की शुरुआत भी है। जम्मू-कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश बनना, धारा 370 का हटाया जाना, और राज्य के अधिकारों की बहाली के लिए संघर्ष, यह सब उमर के लिए कांटों का ताज साबित हो सकता है।

जम्मू-कश्मीर में अब भी धारा 370 की बहाली को लेकर कई भावनाएं हैं, जो कि राज्य के विशेष दर्जे को समाप्त करने के फैसले के बाद से और भी तीव्र हो गई हैं। उमर अब्दुल्ला को इन भावनाओं और संवेदनशीलताओं को समझते हुए राज्य के विकास और शांति की दिशा में कार्य करना होगा।

370 के लिए संघर्ष: जाहिर अब्दुल्ला की राय

उमर अब्दुल्ला के बेटे जाहिर अब्दुल्ला ने अपने पिता के शपथ ग्रहण के मौके पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि नए जम्मू-कश्मीर सरकार की पहली प्राथमिकता राज्य के दर्जे को बहाल करना है। जाहिर अब्दुल्ला का यह कहना कि धारा 370 की बहाली के लिए असली संघर्ष राज्य के दर्जे की बहाली के बाद शुरू होगा, यह दर्शाता है कि यह मुद्दा अभी भी नेशनल कांफ्रेंस और अन्य स्थानीय राजनीतिक दलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

धारा 370 का हटाया जाना जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक बड़ा मोड़ था, और जाहिर अब्दुल्ला का बयान इस बात की पुष्टि करता है कि उनकी पार्टी इस मुद्दे को किसी भी हाल में नहीं छोड़ने वाली है।

महबूबा मुफ्ती की प्रतिक्रिया

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पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने उमर अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री पद की शपथ को जम्मू-कश्मीर के लिए एक शुभ दिन बताया। उन्होंने कहा, “लोगों को कई वर्षों बाद अपनी सरकार मिली है और यह बहुत ही सकारात्मक संकेत है।” महबूबा मुफ्ती ने इस बात पर भी जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने 2019 के बाद से बहुत कुछ सहा है, और अब उन्हें एक स्थिर सरकार की आवश्यकता है जो उनके घावों को भर सके।

महबूबा मुफ्ती के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि जम्मू-कश्मीर में एक नई सरकार का गठन न केवल एक राजनीतिक बदलाव है, बल्कि यह उन लोगों के लिए भी एक नई उम्मीद है जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में कष्ट सहे हैं।

उम्मीदों और जिम्मेदारियों का ताज

उमर अब्दुल्ला को न केवल राजनीतिक मुद्दों से निपटना होगा, बल्कि उन्हें लोगों की उम्मीदों को भी पूरा करना होगा। धारा 370 की बहाली, राज्य का दर्जा, आर्थिक विकास, रोजगार के अवसरों की सृजन और सुरक्षा स्थिति में सुधार जैसी कई चुनौतियाँ उनके सामने होंगी।

उनके पिता फारूक अब्दुल्ला का “कांटों का ताज” बयान यह स्पष्ट करता है कि मुख्यमंत्री पद की यह जिम्मेदारी कितनी कठिन हो सकती है। जनता की उम्मीदें उमर से अधिक हैं, और यह जरूरी है कि वह अपने नेतृत्व कौशल और प्रशासनिक क्षमताओं के माध्यम से इन उम्मीदों पर खरा उतरें।

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